राष्‍ट्रीय

New Delhi: अजमेर दरगाह पर पीएम मोदी की ओर से चादर चढ़ाने पहुंचे किरेन रिजिजू

New Delhi: केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर पेश की। यह चादर राजस्थान के अजमेर में 813वें उर्स के अवसर पर पेश की गई। उर्स के इस पावन मौके पर यह दरगाह सांप्रदायिक सौहार्द, भाईचारे और मानवता का प्रतीक बन जाती है।

भाजपा नेताओं द्वारा भव्य स्वागत

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू का अजमेर सर्किट हाउस में भाजपा नेताओं द्वारा भव्य स्वागत किया गया। इससे पहले अधिकारियों ने घोषणा की थी कि प्रधानमंत्री की ओर से भेजी गई चादर का स्वागत दरगाह समिति और ख्वाजा साहब के खादिमों की संस्था अंजुमन द्वारा भी किया जाएगा।

हिंदू सेना द्वारा विरोध प्रदर्शन

इस दौरान राष्ट्रीय हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा एक विवाद खड़ा किया गया। उन्होंने सिविल कोर्ट में मामला दर्ज करवाया और प्रधानमंत्री से चादर न भेजने का अनुरोध किया। हिंदू धर्म सभा के एक अधिकारी और रिटायर्ड जज अजय शर्मा ने भी चादर भेजने का विरोध किया।

उर्स में बढ़ी श्रद्धालुओं की भीड़

उर्स के अवसर पर दरगाह में देश के विभिन्न राज्यों से श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। उर्स की रस्में बड़े ही धूमधाम से मनाई जा रही हैं। 7 जनवरी को उर्स का छठा दिन छोटे कुल की रस्म के रूप में मनाया जाएगा और 10 जनवरी को बड़े कुल की रस्म के साथ धार्मिक कार्यक्रमों का समापन होगा।

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देश में भाईचारे का माहौल बनाना चाहते हैं प्रधानमंत्री

केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से चादर पेश करना पूरे देश की ओर से चादर पेश करने जैसा है। उन्होंने कहा कि देश में सौहार्द और भाईचारे का माहौल बनाना चाहिए।

हमारी संस्कृति में विविधता में एकता का प्रतीक

रिजिजू ने कहा कि उर्स के दौरान दरगाह पर जाना हमारी संस्कृति में विविधता में एकता का प्रतीक है। यहां सभी धर्मों के लोग आकर प्रार्थना करते हैं, जो हमारे देश की सांस्कृतिक विरासत का परिचायक है।

गरेब नवाज ऐप और वेब पोर्टल का उद्घाटन

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने अजमेर दरगाह में “गरेब नवाज ऐप” और एक वेब पोर्टल का उद्घाटन किया। इस पोर्टल पर दरगाह से जुड़ी सभी सुविधाओं, अतिथि गृह की बुकिंग और लाइव टेलीकास्ट की जानकारी उपलब्ध है। अब श्रद्धालुओं को दरगाह से संबंधित जानकारी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।

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उर्स की ऐतिहासिक परंपरा

ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स छह दिनों तक चलता है। 813 साल पहले, रजब के पहले दिन ख्वाजा साहब अपने कमरे में इबादत के लिए गए और शिष्यों से कहा कि उन्हें परेशान न किया जाए। छह दिनों तक बाहर न आने के बाद, जब शिष्यों ने दरवाजा खोला तो उन्होंने देखा कि ख्वाजा साहब का स्वर्गवास हो चुका था।

हर धर्म के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र

ख्वाजा गरीब नवाज के दरगाह में सिर्फ मुस्लिम ही नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लोग अपनी आस्था के साथ सिर झुकाते हैं और अपनी मुरादें पूरी करते हैं। उर्स के मौके पर दरगाह का माहौल विशेष हो जाता है, और हर श्रद्धालु इस अवसर पर मजार शरीफ पर फूल चढ़ाने की कामना करता है।

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